दिमाग को तेज बनाए रखने के लिए किताबों की जरूरत
क्रिएट स्टोरीज द्वारा वर्कशॉप परिवर्तन में एक्सपर्ट स्टीवन स्वामी ने दिए टिप्स
रीडिंग हैबिट पर वर्कशॉप “परिवर्तन” का आयोजन क्रिएट स्टोरीज द्वारा अय्यप्पा पब्लिक स्कूल में किया गया | इस वर्कशॉप में एक्सपर्ट स्टीवन स्वामी ने बच्चो से चर्चा की |
आयोजक दीपक शर्मा ने बताया की कम्प्यूटराइजेशन से कला एवं लेखन का हास हो रहा है जो की आजकल के बच्चों में देखने को मिल रहा एवं आज के भागते समय को देखते हुए उनमे परिवर्तन की ज़रुरत है|
एक्सपर्ट स्टीवन स्वामी ने बताया की अपना तेज बनाए रखने के लिए जिस तरह तलवार को पत्थर की जरूरत होती है उसी प्रकार दिमाग को किताबों की। बच्चे में रीडिंग हैबिट तभी डेवलप की जा सकती है, जब उसकी शुरूआत बेस लाइन से की जाए।
अर्थात आप बच्चे की रीडिंग हैबिट की शुरूआत उन चीजों से करें, जो उसे पहले से आती हैं। अगर बच्चा रंगों के नाम को पहचानता है या फिर उसे अक्षर या नंबरों का थोड़ा बहुत ज्ञान है तो उसी को आधार बनाकर बच्चे को किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करें।
कंप्यूटर और मोबाइल फोन के बढ़ते उपयोग की वजह से विद्यार्थियों में कुछ अच्छी आदतों का हास होता दिख रहा है। पढ़ाई और नौकरी के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए कुछ ऐसी स्किल्स की ज़रुरत है जिनमें पढ़ने की आदत बहुत अहम भूमिका निभाती है। किताबें पढ़ने से ना केवल आपकी भाषा का उपयोग सुधरता है, बल्की दुनियां के राष्ट्रों , उनकी सभ्यताओं और विचारों से भी व्यक्ति अवगत होते है।
आजकल देखने में आता है कि बच्चे अपना खली समय मोबाईल गेम खेलने, विडियोज देखने, माइक्रो ब्लॉगिंग करने , ऑनलाइन विडियो बनाना , पसंद करते हैं। इस कारण पढ़ने की अच्छी आदत छूटती नज़र आ रही है जिसकी वजह से क्रिएटिविटी, इनोवेशन , सीखने की जिज्ञासा के अलावा भाषा से जुड़ी स्किल्स जैसे लिखने और पढ़कर समझने की कला ख़तम होती जा रही है। इस बात का एहसास विद्यार्थियों को बहुत बाद में हो पाता है ।
बच्चे की दुनिया को विस्तृत करने के लिए बहुत से छोटे बड़े तरीके हैं, पुस्तक-प्रेम उनमें से सर्वोत्तम है। लेकिन वास्तव में बच्चों के मन में यह प्रेम जागृत करने के लिए सबसे पहले पैरेंट्स का भी थोड़ा क्रिएटिव होना बेहद आवश्यक है.
बच्चों की पढ़ने में रूचि पैदा करने के लिए उनके कमरे में या घर पर एक छोटी सी बुक शेल्फ को सजाकर रखें और उसमें कुछ बेहद अच्छी किताबें रखे, जिसे पढ़ने में बच्चे को मजा आए , रीडिंग का वातावरण घर पर बनाइये ।
जिस प्रकार हमारे दादा दादी या नाना नानी बच्चो को कहानियां सुनाते थे वैसे ही रात को सोने से पहले रोज बच्चे के साथ बैठकर स्टोरी बुक पढ़ने की आदत डालें या उन्हें सुनाइये या फिर अपने बच्चे के इंटरस्ट को देखते हुए आप कुछ ऐसा करें , जिससे उसका रूझान किताबों की तरफ बढ़ें। सुनने से बच्चों का उच्चारण भी सुधरेगा |
बच्चों के लिए सबसे अच्छा उपहार किताबें है जो उनमे वैल्यूज डेवेलोप करते है | जो लोग किताबें अधिक पढ़ते हैं उनका आई-क्यू लेवल भी अधिक होता है । किताबें व्यक्ति को रचनाशील बनाती है जिसके कारण उनकी सोचने और समझने की क्षमता बढ़ जाती है । यदि बच्चों को बचपन में ही पढ़ने की आदत डलवायी जाये तो उनका आई-क्यू लेवेल बेहतर रहता है ।
कभी भी बच्चे के पढ़ने की शुरूआत कोर्स बुक से न करें। इससे उन्हें लगेगा कि जैसे उन्हें पढ़ाई करवाने के लिए ही बिठाया गया है। बेहतर होगा कि आप उनके इंटरेस्ट को देखते हुए कुछ किताबें खरीदें और उनके साथ मजे लेकर पढ़ें, जैसे की बच्चे को क्रिकेट पसंद है को खिलाडियों की आत्मकथाओं को उन्हें लाकर दीजिये । कभी भी बच्चे पर पढ़ने के लिए दबाव न डालें। अगर बच्चा पढ़ना नहीं चाहता तो उससे किसी तरह की जबरदस्ती न करें। ऐसा करने से वह किताबों से दूर भागेगा।
पढ़ने की हैबिट बच्चे में कम उम्र से ही डालें। आपको शायद पता न हो लेकिन जब बच्चे बोलना भी नहीं जानते, तब भी किताबों को देखकर व उसे छूकर उसका आनंद उठाते हैं।
पढ़ने को एक नियम बनाएं । जिस तरह आप हर रोज नहाते व खाते हैं, ठीक उसी तरह प्रतिदिन पढ़ें। अगर बच्चा नहीं भी पढ़ रहा है तो आप उसके सामने बैठकर हर दिन कुछ न कुछ अवश्य पढ़ें। इससे उसकी उत्सुकता भी उस ओर बढे़गी ।
देशभर के कॉलेजों में होने वाली एंट्रेंस एग्जॉ्म में पड़कर समझने यानी रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन की ज़रुरत पढ़ती है जिसमें लाइट्रेचर, फिलोसॉफी, आर्ट, ह्यूमेनिटीज़ जैसे विषय परपैसेज आते हैं । अगर पढ़ने की आदत ना हो तो इनको समझना मुश्किल हो जाता है।
इसके अलावा नौकरियों के लिए होने वाले इंटरव्यू में एंप्लॉयर जानना चाहते हैं कि आपने अपने सामान्य जागरूकता को बढ़ाने के लिए कौनसी किताबें पढ़ी है।
पढ़ने की आदत से लोग इसलिए भी घबराते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि बड़ी बड़ी किताबें पढ़ना उनके बस की बात नहीं है । या फिर किसी भी किताब को जिसमें उनकी रुची नहीं है, उसे पढ़ना शुरू करके वे बोर हो जाते है और अगली बार कोई किताब नहीं उठाते ।
किताबें व्यक्ति का तनाव दूर करने का बेहतर जरिया हैं। एक शोध के अनुसार अच्छी किताबें व्यक्ति के तनाव के हार्मोन यानी कार्टिसोल के स्तर को कम करती हैं।
पढ़ना दिमाग के लिए अच्छा तो है ही साथ ही यह तनाव कम करने में भी मददगार है। घंटो कंप्यूटर और टीवी देखने से अच्छा है किताबें पढ़ने की आदत डालिए। रात को सोने से पहले किताब पढ़ने से नींद अच्छी आती है। यह अल्जाइमर जैसी भूलने की बीमारी से बचाव करता है। तो खुद को स्वस्थ रखने की आदतों में से एक पढ़ने की आदत डालिए ।
पढ़ने की अच्छी आदत डालने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखा जाए-
· मोटी किताबों और नोवेल्स के बजाए न्यूजपेपर, ब्लॉग्स और लघु कथाओं से शुरुआत करिए|
· अपने रुची की किताबों से शुरू कीजिए, इससे आपको पढ़ते रहने का हौसला मिलेगा।
· सही स्रोत से कौनसी किताबों को पढ़ना है यह सलाह लीजिए। एरिया ऑफ इंटरेस्ट अलग हो सकता है उनका और आपका |
· हर भाषा जरूरी है और अपनी मातृ भाषा में लेट्रेचर पढ़ना आना चाहिए ।
· क्रिएटिविटी और आउट ऑफ द बॉक्स थिंकिंग को बढ़ावा देने के लिए पढ़ना बहुत ज़रुरी है |
· पढ़ने का नियम बनाना बहुत ज़रूरी है | वीकेंड्स पे समय निकाल के अपनी किताब को पढ़ना जारी रखिये |
· मोटिवेशन और सेल्फ हेल्प बुक्स के अलावा , साइंस एंड टेक्नोलॉजी , नेचर ,साइंस फिक्शन , थ्रिलर , आत्मकथाओं को पढने की आदत डालिए क्यूंकि जितना वाइड स्कोप में पढेंगे उतना ज्यदा बेनिफिट मिलेगा और फिर शायद हम चित्रों या दृश्य देखकर हम उसके ऊपर खुद लिख सकते है |
· अगर एक बार में ज्यदा पढने से बोर जाते है तो एक दिन में 10 से 15 पन्ने पढने का टारगेट ज़रूर रखिये |
· क्वालिटी रीडिंग करिए न की क्वांटिटी रीडिंग |
· रीडिंग से जुड़े कार्यक्रम, बुक फेयर , बुक स्टोर्स , लाइब्रेरीज आदि विजिट करना शुरू करिए|
· आप जो पढ़ते है उसको परिवार या खास मित्रों से डिस्कस करिए |
· एक अच्छे श्रोता बनिए |
पढ़ने का महत्व-
· क्रिएटिविटी बढ़ती है जिससे आप प्रॉब्लम सॉल्विंग को नए एप्रोच से देख पाते है | यह टीम्स में काम करने के लिए बहुत ज़रूरी है |
· इससे आपकी शब्दावली और ग्रामर अपने आप इम्प्रूव जाते हैं |
· दुनियां, कल्चर्स और नयी चीज़ों के बारे में जानने से आपका दिमाग खुलता है | आप अधिक खुले विचारों वाले व्यक्ति बनते है ।
· एंट्रेंस एक्साम्स में बहुत उपयोगी है |
स्कूल्स को आफ्टर स्कूल में भी लाइब्रेरी और रीडिंग को प्रमोट करना चाहिए | लैंग्वेज टीचर्स को बुक क्लब्स , बुक्स रिव्यु को बढ़ावा देना चाहिए | मॉर्निंग असेंबली में स्टूडेंट्स ने जो किताबें पढ़ी है उनके रिव्यु सेशन रखिये जिससे बच्चो में बोलने की रूचि भी पैदा होगी और स्टेज फियर निकलेगा |